भारत में वित्तीय संस्थान


 भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India)
भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केन्द्रीय बैंक है, जिसका मुख्यालय मुम्बई में है। इसकी स्थापना 1 अप्रैल 1935 को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जिसे 1937 में मुम्बई लाया गया। पहले यह एक निजी बैंक था, किन्तु 1 जनवरी 1949 को यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया जब इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। सर ओसबोर्न स्मिथ रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर (1 अप्रैल 1935-30 जून 1937) थे। स्वतंत्रता के बाद रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर सर सी.डी. देशमुख (1943-1949) थे। डॉ. रघुराम राजन भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर हैं।
महत्वपूर्ण कार्य
मौद्रिक प्रधिकारीः मूल्य स्थिरता बनाए रखने और उत्पादक क्षेत्रों को पर्याप्त ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मौद्रिक नीति तैयार करता है,उसका कार्यान्वयन करता है और उसकी निगरानी करता है। साथ ही, प्रारक्षित निधि रखता है।
वित्तीय प्रणाली का विनियामक और पर्यवेक्षकः परिचालन के लिए विस्तृत मानदंड निर्धारित करता है जिसके अंतर्गत देश की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली काम करती है। इसका उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में लोगों का विश्वास बनाए रखना, जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना और आम जनता को किफायती बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना है।
विदेशी मुद्रा प्रबंधकः विदेश व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाने और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का क्रमिक विकास करने और उसे बनाए रखने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 का प्रबंध करता है।
मुद्रा जारीकर्ताः देश में एक रुपये के सिक्‍कों/नोटों और छोटे सिक्‍कों को छोड़कर करेंसी नोट जारी करता है और उसका विनिमय करता है अथवा परिचालन के योग्य नहीं रहने पर करेंसी को नष्ट करता है। साथ ही सिक्कों का परिचालन करता है।
सरकार का बैंकर: केंद्र सरकार और राज्‍य सरकारों के साथ किए गए अनुबंधों के अनुसार उनके बैंकर के रूप में कार्य करता है। रिजर्व बैंक केंद्र और राज्‍य सरकारों के उधारी कार्यक्रम का संचालन भी करता है।
बैंकों के लिए बैंकर: सभी अनुसूचित बैंकों के बैंक खाते रखता है।
अन्य कार्यः साख नियन्त्रित करता है। मुद्रा के लेन देन को नियंत्रित करता है। अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्राकोष में भारत की सदस्‍यता के आधार पर सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करता है।
संगठनात्मक स्वरुप
रिजर्व बैंक का कामकाज केन्द्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है। इस बोर्ड की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है। यह नियुक्ति चार वर्षों के लिये होती है। केन्द्रीय निदेशक बोर्ड में एक पूर्णकालिक गवर्नर और अधिकतम चार उप गवर्नरों सहित कुल बीस सदस्य होते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांशत: राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India)
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है। यह एक स्वायत्त संस्था है  इसकी स्थापना सेबी अधिनियम, 1992 के तहत 12 अप्रैल 1992 को हुई थी। इसकी स्थापना आधिकारिक तौर पर वर्ष 1988 में भारत सरकार द्वारा की गई थी और भारतीय संसद द्वारा पारित सेबी अधिनियम, 1992 के तहत 1992 में इसे वैधानिक अधिकार दिया गया था। सेबी का मुख्यालय मुंबई में है और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं। उपेन्द्र कुमार सिन्हा सेबी के वर्तमान अध्यक्ष हैं।
कार्य
सेबी का प्रमुख कार्य भारतीय स्टॉक निवेशकों के हितों को संरक्षण प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार के विकास तथा नियमन को प्रवर्तित करना है।

बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority)
बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) एक स्वायत्त निकाय है जो आईआरडीए अधिनियम 1999 के अंतर्गत स्थापित किया गया है। बीमा क्षेत्र में सुधारों की सिफारिश करने के लिए श्री आर.एन. मल्होत्रा की अध्यक्षता में 1993 में गठित समिति की अनुशंसा पर आईआरडीए का गठन किया गया था। आईआरडीए का उद्देश्य पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा करना, बीमा उद्योग तथा इससे संबंधित या इसके लिए आकस्मिक मसलों का विनियमन, प्रर्वतन तथा क्रमिक वृद्धि को सुनिश्चित करना है। आईआरडीए का मुख्यालय हैदराबाद में है। इसके वर्तमान अध्यक्ष श्री टी.एस. विजयन हैं।
कार्य
·         बीमा कंपनियों का पंजीयन तथा विनियमन करना
·         पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा करना
·         बीमा मध्यस्थों की लाइसेंसिंग तथा मानदंड निर्धारित करना
·         बीमा में व्यवसायिक संगठनों को बढ़ावा देना
·         गैर-जीवन बीमा के आवरण की प्रीमियम दरों तथा शर्तों का विनियमन एवं निगरानी करना
·         बीमा कंपनियों के वित्तीय प्रतिवेदन मानदंडों को विनिर्दिष्ट करना
·         ग्रामीण क्षेत्रों में तथा समाज के भेद्य (असुरक्षित) वर्गों का बीमा आवरण सुनिश्चित करना

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development)
भारत सरकार की पहल पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा श्री. बी. सिवरामन की अध्यक्षता में कृषि ग्रामीण विकास के लिए संस्थागत ऋण व्यवस्थाओं की समीक्षा हेतु गठित समिति की अनुशंसा पर राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की गई। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 के तहत 12 जुलाई 1982 को नाबार्ड की स्थापना हुई। इसका मुख्यालय मुम्बई में है।
नाबार्ड की स्थापना अभिदत्त और प्रदत्त पूंजी ₹100 करोड़ से की गयी जिसका अंशदान भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक ने समान रूप से किया। भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रदत्त अंशपूंजी के अनुपात में संशोधन के उपरान्त 31 मार्च 2015 को प्रदत्त पूंजी ₹5,000 करोड़ हो गयी जिसमें 99.60% का अंश भारत सरकार का तथा 0.40% का अंश भारतीय रिज़र्व बैंक का है।
उद्देश्य
देश में ग्रामीण वित्तीय प्रणाली में मजबूत और कुशल ऋण वितरण प्रणाली की आवश्यकता को देखते हुए नाबार्ड की स्थापना की गई थी। प्रभावी ऋण सहायता, संबंधित सेवाओं, संस्था विकास और अन्य नवोन्मेषी पहलों के माध्यम से कृषि और ग्रामीण समृद्धि का दीर्घकालीन एवं सम्यक संवर्धन करना नाबार्ड का उद्देश्य है। इसे कृषि ऋण से जुड़े क्षेत्रों में, योजना और परिचालन के नीतिगत मामलों में तथा भारत के ग्रामीण अंचल की अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए मान्यता प्रदान की गयी है। ग्रामीण ऋण के 50% से अधिक ऋण सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा संवितरित किए जाते हैं। नाबार्ड सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कार्यों को विनियमित करने और पर्यवेक्षण के लिए उत्तरदायी है।

भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India)
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) भारत का सार्वजानिक क्षेत्र का सबसे बड़ा और सबसे पुराना वाणिज्यिक बैंक है। एसबीआई की स्थापना 2 जून, 1806 को कलकत्ता में बैंक ऑफ कलकत्ता के रुप में हुई थी। 2 जनवरी, 1809 को इसका पुनर्गठन बैंक ऑफ बंगाल के रूप में हुआ। 27 जनवरी, 1921 में तीन प्रेसिडेंसी बैंकों (बैंक ऑफ बंगाल, बैंक ऑफ बम्बई, बैंक ऑफ मद्रास) को मिलाकर इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (भारतीय शाही बैंक) की स्थापना की गयी। 1 जुलाई, 1955 को भारत सरकार ने इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर इसका नामकरण भारतीय स्टेट बैंक कर दिया। एसबीआई का मुख्यालय मुम्बई में है। वर्तमान में अरुंधती भट्टाचार्य एसबीआई की चेयरमैन हैं।
वर्ष 1959 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (सब्सिडियरी बैंक) अधिनियम पारित कर एसबीआई को आठ पूर्व सहयोगी बैंकों (वर्तमान में पांच) के अधिग्रहण का अधिकार दिया गया, जिससे ये बैंक एसबीआई के सहायक बैंक बन गये और इसे स्टेट बैंक समूह का नाम दिया गया।
सहायक बैंकों की सूची
·         स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर
·         स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद
·         स्टेट बैंक ऑफ मैसूर
·         स्टेट बैंक ऑफ पटियाला
·         स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर

राष्ट्रीय आवास बैंक (National Housing Bank)
राष्ट्रीय आवास बैंक आवासीय वित्त के लिए भारत में एक सर्वोच्च संस्था है। यह भारतीय रिज़र्व बैंक का नियंत्रित उपक्रम है। राष्ट्रीय आवास बैंक की स्थापना 9 जुलाई, 1988 को राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 के अधीन की गई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
उद्देश्य
जनसंख्या के सभी वर्गों की आवास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निम्न और मध्यम आय आवास पर ध्यान देने सहित बाजार संभावनाओं को तलाशना और उसका संवर्धन करना राष्ट्रीय आवास बैंक का उद्देश्य है। यह आवास वित्त संस्थानों के उन्नयन के लिए एक प्रधान एजेंसी के रूप में कार्य करता है एवं ऐसे संस्थानों को वित्तीय एवं अन्य सहायता प्रदान करता है।

भारतीय महिला बैंक (Bharatiya Mahila Bank)
भारतीय महिला बैंक भारत का पहला महिला बैंक है। इस बैंक की विशेषता यह है कि इसमें सभी कर्मचारी महिलाएं है और ग्राहक भी महिलाएं ही होती हैं। बैंक का मुख्यालय दिल्ली में है। मुंबई के नरीमन पॉइंट स्थित 'भारतीय वायुसेना भवन' में देश के पहले महिला बैंक की स्थापना 19 नवम्बर, 2013 को की गई थी। 'पंजाब नेशनल बैंक' की कार्यकारी निदेशक रह चुकी उषा अनंतसुब्रमण्यम को भारतीय महिला बैंक का प्रथम अध्यक्ष बनाया गया। भारतीय महिला बैंक एक सार्वभौमिक बैंक है  तथा सार्वजनिक एवं निजी बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली समस्त सेवाएं प्रदान करता है।

मुद्रा बैंक (MUDRA Bank)
8 अप्रैल 2015 को 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ एक सूक्ष्‍म इकाई विकास पुनर्वित्‍त एजेंसी, अर्थात् मुद्रा बैंक (The Micro Units Development and Refinance Agency, MUDRA Bank) की शुरुआत की गई। यह अति लघु इकाइयों के विकास तथा पुनर्वित्तपोषण संबंधी गतिविधियों हेतु भारत सरकार द्वारा गठित एक संस्था है। मुद्रा बैंक की स्थापना वैधानिक संस्था के तौर पर हुई है। मुद्रा बैंक को संसद के एक अधिनियम के तहत स्थापित किया जाना है पर इस संबंध में कानून बनने तक इसे भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की इकाई के रूप में चलाया जाएगा। यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के तौर पर काम करेगी।
उद्देश्य
मुद्रा बैंक उन सभी अंतिम छोर के वित्तपोषकों, जैसे विभिन्न प्रकार की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां जोकि लघु व्यवसायों के वित्तपोषण में लगी हैं, समितियों, न्यासों, कंपनियों, सहकारी समितियों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त उपलब्ध कराने हेतु उत्तरदायी होगा जोकि विनिर्माण, व्यवसाय तथा सेवा गतिविधियों में जुटे अति लघु/लघु व्यवसाय निकायों को ऋण प्रदान करती हैं। यह बैंक लघु/अति लघु व्यावसायिक निकायों के अंतिम छोर के वित्तपोषकों को वित्त उपलब्ध कराने हेतु राज्य स्तरीय/क्षेत्रीय स्तर के समन्वयकों के साथ भागीदारी करेगा।
इसका उद्देश्य छोटे उद्यमों को आसान दरों पर 10 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध करवाना तथा सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं पर नियंत्रण एवं उनका विकास है, जिससे अंतत: देश की उत्पादकता में वृद्धि होगी और रोजगार के अधिक अवसरों का सृजन होगा।

भारतीय औद्योगिक विकास बैंक ( Industrial Development Bank of India)
भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) का गठन भारतीय औद्योगिक विकास बैंक अधिनियम 1964 के तहत एक वित्तीय संस्था के रूप में हुआ था और यह 01 जुलाई 1964 से अस्तित्व में आया। साल 2004 में इसका रूपांतरण एक बैंक के रूप में हो गया। आईडीबीआई बैंक का प्रधान कार्यालय मुंबई में है।
वित्तीय संस्था के रूप में पूर्ववर्ती आईडीबीआई ने ऐसी सेवाओं का वित्तपोषण किया जिनसे उद्योगों का संतुलित भौगोलिक विकास, पिछड़े क्षेत्रों का विकास और उद्यमवृत्ति का उदभव हुआ तथा सक्रिय पूंजी बाजार अस्तित्व में आया। एक बैंक के रूप में आईडीबीआई बैंक कोर बैंकिंग व परियोजना वित्त क्षेत्र के अलावा पूंजी बाजार, निवेश बैंकिंग और म्यूचुअल फंड कारोबार जैसे संबद्ध वित्तीय क्षेत्र के कारोबार में संलग्न है।

भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (Small Industries Development Bank of India)
 भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) भारत की स्वतंत्र वित्तीय संस्था है जिसे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की वृद्धि एवं विकास के लक्ष्य से स्थापित किया गया है। सिडबी की स्थापना 2 अप्रैल 1990 को हुई थी। सिडबी का प्रधान कार्यालय लखनऊ में स्थित है। सिडबी का उद्देश्य आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन तथा संतुलित क्षेत्रीय विकास की प्रक्रिया में योगदान करने की दृष्टि से अल्प, लघु और मध्यम उद्यम  क्षेत्र का सशक्तीकरण करना है।
 कार्य :
सिडबी अल्प, लघु और मध्यम उद्यमों के वित्तपोषण एवं विकास के लिए प्रत्यक्ष वित्त, प्राप्य वित्त, पुनर्वित्त, अल्प वित्त आदि योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न उत्पाद एवं सेवाएं उपलब्ध करवाता है। सिडबी द्वारा सावधि जमा राशियां भी स्वीकार की जाती है। 

भारतीय निर्यात-आयात बैंक (Export-Import Bank of India)
भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्जि़म बैंक) की स्थापना संसद के एक अधिनियम द्वारा 1981 में की गयी थी। बैंक ने अपना परिचालन 1 मार्च, 1982 से आरंभ किया। एक्जि़म बैंक भारत के विदेश व्यापार के वित्तपोषण, सुगमीकरण तथा संवर्धन के प्रयोजनार्थ स्‍थापित, सरकार के पूर्ण स्वामित्व की एक वित्तीय संस्‍‍था है। बैंक का प्रधान कार्यालय मुंबर्इ में है और बैंक के भारत में दस कार्यालय हैं। विदेशों में बैंक के सात कार्यालय हैं जो क्रमश: अदिस अबाबा, डकार, दुबई, जोहान्सबर्ग, लंदन, सिंगापुर तथा वाशिंगटन डी.सी. में स्थित हैं।
कार्य
एक्जिम बैंक भारतीय व्यापार के भूमंडलीकरण को सुगम बनाने के लिए कार्य करता है। यह वि‍भिन्न सेवाओं तथा कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय उद्योग जगत एवं विशेष रूप से लघु एवं मध्यम उद्यमों के वैश्वीकरण प्रयासों में एक प्रमुख उत्प्रेरकीय भूमिका निभाता है। बैंक निर्यात सेवा-चक्र की प्रत्येक अवस्था में सहायता प्रदान करता है, जिनमें प्रौद्योगिकी से लेकर उत्पाद विकास, निर्यात उत्पादन, निर्यात विपणन, प्रीशिपमेंट एवं पोत पोस्‍टशिपमेंट तथा विदेशी निवेश के लिए वित्‍त जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। भारतीय निर्यातकों को वित्‍तीय तथा परामर्शी सहायता प्रदान करता है और अंतर्राष्ट्रीय रूप से प्रतिस्पर्धी बनने के उनके प्रयासों में मदद करता है।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Financial Company)
भारत में ऐसे वित्तीय संस्थान हैं जो बैंक नहीं है किंतु वे जमाराशि स्वीकार करते हैं तथा बैंक की तरह ऋण सुविधा प्रदान करते हैं। भारत में इन्हें गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) कहा जाता है।
एनबीएफसी उस कंपनी को कहा जाता है, जो -
·         कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत पंजीकृत हो।
·         जिसका मुख्य कारोबार उधार देना, विभिन्न प्रकार के शेयरों/स्टॉक/ बॉन्ड्स/ डिबेंचरों/प्रतिभूतियों, पट्टा कारोबार, किराया-खरीद(हायर-पर्चेज), बीमा कारोबार, चिट संबंधी कारोबार में निवेश करना हो।
·         जिसका मुख्य कारोबार किसी योजना अथवा व्यवस्था के अंतर्गत एकमुश्त रूप से अथवा किस्तों में जमाराशियां प्राप्त करना है।
·         किंतु, किसी एनबीएफसी में ऐसी कोई संस्था शामिल नहीं है जिसका मुख्य कारोबार कृषि, औद्योगिक, व्यापार संबंधी गतिविधियां हैं अथवा अचल संपत्ति का विक्रय/क्रय/निर्माण करना है।
·         ऋण/अग्रिमों से संबंधित गतिविधियां स्वयं की गतिविधि से इतर की गतिविधियां हों।
·         जिस एनबीएफसी की परिसंपत्तियों का आकार पिछले लेखापरीक्षा किए गए तुलनपत्र के अनुसार 500 करोड़ रुपए या उससे अधिक हो उसे प्रणालीगत रूप से एनबीएफसी माना जाता है।
एनबीएफसी की सात श्रेणियां हैं एसेट फाइनेंस कंपनी, इनवेस्टमेंट कंपनी, लोन कंपनी, इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी, कोर इनवेस्टमेंट कंपनी, इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड कंपनी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टिट्यूशन।

पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (Pension Fund Regulatory and Development Authority)
भारत में पेंशन क्षेत्र को प्रोन्नत, विकसित और नियमन करने के लिए एक भारत सरकार के अध्यादेश द्वारा 23 अगस्त 2003 को पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए)की स्थापना की गई। पीएफआरडीए भारत में पेंशन फंड्स के लिए बनाई गई नियामक संस्था है। पीएफआरडीए में केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और पांच सदस्य होते हैं जिनमें कम से कम तीन पूर्ण-कालिक सदस्य होते हैं। पीएफआरडीए का प्रधान कार्यालय नई दिल्ली में है। पीएफआरडीए के वर्तमान अध्यक्ष  श्री हेमंत जी. कॉन्ट्रैक्टर हैं।  
कार्य
पीएफआरडीए का मुख्य कार्य  वृद्धावस्था आय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पेंशन निधियों को स्थापित, विकसित और नियमित करना, पेंशन निधि योजनाओं एवं उससे जुडे विषयों अथवा उससे संबंधित आनुषांगिक विषयों में अभिदाता के हितों की रक्षा करना है। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली, जिसके अभिदाताओं में केन्द्र सरकार/राज्य सरकारों, निजी संस्थानों/संगठनों और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी शामिल हैं, का नियमन पीएफआरडीए द्वारा किया जाता है। पेंशन बाजार के व्यवस्थित विकास और वृद्धि का कार्य पीएफआरडीए द्वारा सुनिश्चित किया जाता है।

वायदा बाजार आयोग (Forward Markets Commission)
वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) एक नियामक प्राधिकारी है और वित्त मंत्रालय,भारत सरकार के देखरेख में कार्य करता है। यह वायदा संविदा (विनियमन) अधिनियम,1952 के तहत 1953 में स्थापित एक सांविधिक निकाय है। आयोग में न्यूनतम दो और अधिकतम चार सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्त केन्द्र सरकार द्वारा की जाती है। एफएमसी के वर्तमान अध्यक्ष श्री रमेश अभिषेक हैं।  इसका मुख्यालय मुंबई मे है।
कार्य :
·         किसी भी संघ की मान्यता या मान्यता की वापसी के संबंध में या वायदा संविदा (विनियमन) अधिनियम 1952 के क्रियान्वयन से उत्पन्न किसी भी अन्य मामले के संबंध में केन्द्र सरकार को सलाह देना।
·         वायदा बाजार की निगरानी और उससे संबंधित कार्रवाई करना।
·         वायदा बाजार की कार्यशैली पर आवधिक विवरण (रिपोर्ट) केन्द्र सरकार को प्रस्तुत करना।
·         सामान्यतः वायदा बाजार के काम और संगठन में सुधार लाने की दृष्टि से सिफारिशें करना।
·         किसी भी मान्यता प्राप्त संघ या पंजीकृत संस्था या इस तरह के सहयोग से बने किसी भी सदस्य के खातों और अन्य दस्तावेजों के निरीक्षण का कार्य करना।

 भारतीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां
भारत में कई क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां कार्यरत हैं, जिसमें क्रिसिल, इकरा, केयर, फिच इंडिया और SMERA आदि शामिल हैं।
क्रिसिलः  क्रिसिल (भारतीय क्रेडिट रेटिंग सूचना सेवा लिमिटेड) मुंबई स्थित भारत की अग्रणी रेटिंग, अनुसंधान, जोखिम और नीति सलाहकार कंपनी है।यह भारत की सबसे बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है। यह 1987 में स्थापित किया गया था। दुनिया की सबसे बड़ी रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स की क्रिसिल में बहुमत की हिस्सेदारी है।
इकराः भारत में वर्ष 1991 में स्थापित इकरा (भारतीय निवेश सूचना और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी) अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडी इन्वेस्टर सर्विसेज की सहयोगी है। यह विनिर्माण कंपनियों, बैंक व वित्तीय संस्थाओं, आवास वित्त कंपनियों, अवसंरचना कंपनियों तथा स्थानीय निकायों द्वारा जारी ऋण लिखतों की रेटिंग करती है।
केयरः वर्ष 1994 में स्थापित केयर (क्रेडिट एनालिसिस एंड रिसर्च लिमिटेड) रेटिंग एजेंसी द्वारा कॉर्पोरेट रेटिंग, बैंक ऋण रेटिंग, कॉर्पोरेट गवर्नेंस रेटिंग एवं सार्वजनिक वित्त रेटिंग की जाती है।
फिच इंडियाः वर्ष 1996 में स्थापित फिच इंडिया रेटिंग एंजेंसी कॉर्पोरेट रेटिंग, वित्तीय रेटिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर रेटिंग, एसएमई रेटिंग तथा सार्वजनिक वित्त से संबंधित रेटिंग निर्धारित करती है।
एसएमई रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडियाः वर्ष 2005 में स्थापित यह एजेंसी सूक्ष्म,लघु तथा मझौले क्षेत्र को रेटिंग देने वाली भारत की पहली रेटिंग एजेंसी है।



Comments